लेखनी प्रतियोगिता -21-May-2022 -संपर्क
संपर्क करने की सोची हमने एक मित्र से,
फोन किया तो लगे हमें वह कुछ खिन्न से।
बोले बात आज नहीं मैं कर पाऊंगा,
देखना तुम तो अब मैं मर ही जाऊंगा ।
हमने पूछा ऐसा क्या हुआ बताओ तो,
क्या है परेशानी हमें समझाओ तो।
बोले वो परेशानी एक हो तो बताएं हम,
आखिर किस-किस से पीछा छुड़ाएं हम।
पत्नी का नखरा कभी न होता ढीला,
पसीने से हो जाता मेरा रुमाल भी गीला।
उस पर भी होती उसकी शिकायतें हजार,
फरमाइश पूरी करने की रहती दरकार।
सरकार का भी अलग ही है रोना,
बाहर जो बुरा फैल गया है कोरोना।
कहते हैं बाहर घर के तुम नहीं जाओ,
दो गज की दूरी और मास्क लगाओ।
पेट्रोल का दाम उन्होंने कर दिया दुगना,
सब्जियों, फलों का दाम हो गया तिगना।
दवाइयां भी तो अब हो गई कितनी महंगी,
लाइन लगी अस्पतालों में दस गज लंबी।
बच्चों को है तलब अलग ही सताई,
करनी है उनको अपनी मर्जी से सगाई।
रिश्तेदारों को वो बुलाना नहीं चाहते,
डेस्टिनेशन वेडिंग मे ही मन वो लगाते ।
वह भी सब चलो झेल ही लूंगा मैं यार,
कर लूंगा थोड़ा सा यहां रसगुल्ले से प्यार ।
पिज़्ज़ा, बर्गर , चिकन सबको है खाना,
घर में पर कोई नहीं चाहता कुछ बनाना।
अब तुम ही बताओ जरा किससे कहूं ,
शिकायतों का ये पोटला मैं कैसे सहूं।
असंभव सा लगता है सब सहना मुझे ,
और क्या क्या मैं आप बीती सुनाऊं तुझे ।
सोच में पड़ गए थे हम भी तब तो,
संपर्क का दंड भरना होगा अब तो ।
परेशानी हमारी भी है आखिर यही सब,
सोच रहे हैं उनसे हम क्या कहें अब ।
बनकर रह गया अब जो मेरा सपना,
दिल हल्का करना था जो मैंने अपना।
असंभव को संभव हम बना नहीं सकते,
शिकायतों का दौर कहीं घुमा नहीं सकते।।
दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Seema Priyadarshini sahay
23-May-2022 12:20 AM
बहुत खूबसूरत
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Punam verma
22-May-2022 10:00 AM
Nice
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Abhinav ji
22-May-2022 08:59 AM
Nice👍
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